कवि रंग में रंगेगा बसंत के हरकारे जम्मू, जागरण संवाददाता : संस्कृति मंच जम्मू (समज) की हिंदी कविता पर आधारित कार्यक्रम बसंत के हरकारे रविवार से शुरू हुई। संस्था के अध्यक्ष अभिमन्यु शर्मा ने स्वागत वक्तव्य में कहा कि इस आयोजन के तहत किसी एक कवि की कविताओं का पाठ, उनके रचना-कर्म पर आधारित पत्र-वाचन, कवि से अंतरंग संवाद व कविताओं की पोस्टर प्रदर्शनी लगाई जाएगी। यह कार्यक्रम समज के संस्थापक, वरिष्ठ लेखक, चिंतक व संपादक महिंद्र सिंह रंजूर की स्मृति को समर्पित था। संस्था के सदस्य मनोज शर्मा ने रंजूर की तस्वीर पर पुष्प चढ़ाए और उनकी याद में लिखी अपनी रचना पढ़ी। रंजूर के परिवार के सदस्य भी कार्यक्रम में मौजूद थे। श्रृंखला का प्रारंभ वरिष्ठ कवि व आलोचक डॉ. अशोक कुमार से किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ठ लेखक व धरती के संपादक शैलेंद्र चौहान ने की। इस दौरान कवि की कुछ कविताओं पर आधारित पोस्टर प्रदर्शनी को काफी सराहा गया। इनका निर्माण युवा कवि व चित्रकार कुंवर शक्ति सिंह ने किया था। कवि अशोक कुमार की कविताओं पर अमिता मेहता ने सामाजिक सरोकारों से जुड़ी अशोक की कविता नामक अपने पत्र में इस मुद्दे पर जोर दिया कि कवि में एक खास तरह की जिद है जिसके बलबूते वह साधिकार प्रत्येक सामाजिक विसंगति से टकराते हैं। अशोक अपनी कविताओं में बेहद ईमानदार व पारदर्शी हैं। उन्होंने अपने पेपर में गागर में सागर भरने का कार्य किया। वहीं, अशोक कुमार ने अपनी कविताएं तुम्हारा आना, बेटी, इंकार स्वीकार आरंभ में, रेड अर्लट आदि पढ़कर सुनाई। अंतरंग बातचीत में कवि ने अपने जीवन के कई अनछुए पहलुओं को खोला और अपनी साहित्यिक यात्रा में निरंतर अध्ययन करते रहने व जीवन से जूझते रहने के अपने जीवन को रेखांकित किया। उन्होंने कुछ बेहतरीन संस्करण भी सुनाए। उन्होंने साफ किया कि वह किसी विचारधारा से जुडे़ हुए नहीं हैं। उन्हें यहां जो अच्छा लगा उसे अपना लिया। चर्चा के दौरान जम्मू विश्वविद्यालय के उर्दू विभाग के एचओडी शोहाब इनायत मलिक, लखनऊ विश्वविद्यालय के उर्दू विभाग के एचओडी व साहित्य अकादमी पुरस्कार विजेता इश्फाक डॉ. निर्मल विनोद, जम्मू-कश्मीर कला संस्कृति एवं भाषा अकादमी के पूर्व सचिव रमेश मेहता, संजय व मनोज शर्मा शामिल हुए। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे शैलेंद्र चौहान ने माना कि जम्मू में मूल्य आधारित कविताएं प्रचुर मात्रा में रची जा रही हैं, लेकिन अपने विचारों को स्पष्ट हुए बिना छाप नहीं छोड़ी जा सकती। उन्होंने अशोक की कविताओं को मुख्य धारा के अलोक में काफी परिपक्व माना। कार्यक्रम में शहर के महत्वपूर्ण लेखकों व रंगकर्मियों ने भाग लिया। संचालन समज के सचिव शेख मोहम्मद ने किया।
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ReplyDeleteकवि रंग में रंगेगा बसंत के हरकारे
ReplyDeleteजम्मू, जागरण संवाददाता : संस्कृति मंच जम्मू (समज) की हिंदी कविता पर आधारित कार्यक्रम बसंत के हरकारे रविवार से शुरू हुई। संस्था के अध्यक्ष अभिमन्यु शर्मा ने स्वागत वक्तव्य में कहा कि इस आयोजन के तहत किसी एक कवि की कविताओं का पाठ, उनके रचना-कर्म पर आधारित पत्र-वाचन, कवि से अंतरंग संवाद व कविताओं की पोस्टर प्रदर्शनी लगाई जाएगी।
यह कार्यक्रम समज के संस्थापक, वरिष्ठ लेखक, चिंतक व संपादक महिंद्र सिंह रंजूर की स्मृति को समर्पित था। संस्था के सदस्य मनोज शर्मा ने रंजूर की तस्वीर पर पुष्प चढ़ाए और उनकी याद में लिखी अपनी रचना पढ़ी। रंजूर के परिवार के सदस्य भी कार्यक्रम में मौजूद थे।
श्रृंखला का प्रारंभ वरिष्ठ कवि व आलोचक डॉ. अशोक कुमार से किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ठ लेखक व धरती के संपादक शैलेंद्र चौहान ने की। इस दौरान कवि की कुछ कविताओं पर आधारित पोस्टर प्रदर्शनी को काफी सराहा गया। इनका निर्माण युवा कवि व चित्रकार कुंवर शक्ति सिंह ने किया था। कवि अशोक कुमार की कविताओं पर अमिता मेहता ने सामाजिक सरोकारों से जुड़ी अशोक की कविता नामक अपने पत्र में इस मुद्दे पर जोर दिया कि कवि में एक खास तरह की जिद है जिसके बलबूते वह साधिकार प्रत्येक सामाजिक विसंगति से टकराते हैं। अशोक अपनी कविताओं में बेहद ईमानदार व पारदर्शी हैं। उन्होंने अपने पेपर में गागर में सागर भरने का कार्य किया।
वहीं, अशोक कुमार ने अपनी कविताएं तुम्हारा आना, बेटी, इंकार स्वीकार आरंभ में, रेड अर्लट आदि पढ़कर सुनाई। अंतरंग बातचीत में कवि ने अपने जीवन के कई अनछुए पहलुओं को खोला और अपनी साहित्यिक यात्रा में निरंतर अध्ययन करते रहने व जीवन से जूझते रहने के अपने जीवन को रेखांकित किया। उन्होंने कुछ बेहतरीन संस्करण भी सुनाए। उन्होंने साफ किया कि वह किसी विचारधारा से जुडे़ हुए नहीं हैं। उन्हें यहां जो अच्छा लगा उसे अपना लिया। चर्चा के दौरान जम्मू विश्वविद्यालय के उर्दू विभाग के एचओडी शोहाब इनायत मलिक, लखनऊ विश्वविद्यालय के उर्दू विभाग के एचओडी व साहित्य अकादमी पुरस्कार विजेता इश्फाक डॉ. निर्मल विनोद, जम्मू-कश्मीर कला संस्कृति एवं भाषा अकादमी के पूर्व सचिव रमेश मेहता, संजय व मनोज शर्मा शामिल हुए।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे शैलेंद्र चौहान ने माना कि जम्मू में मूल्य आधारित कविताएं प्रचुर मात्रा में रची जा रही हैं, लेकिन अपने विचारों को स्पष्ट हुए बिना छाप नहीं छोड़ी जा सकती। उन्होंने अशोक की कविताओं को मुख्य धारा के अलोक में काफी परिपक्व माना। कार्यक्रम में शहर के महत्वपूर्ण लेखकों व रंगकर्मियों ने भाग लिया। संचालन समज के सचिव शेख मोहम्मद ने किया।